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भारतीय संविधान के चार स्तंभ: वर्तमान दौर में लोकतंत्र की असली ताकत

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भारतीय संविधान के चार स्तंभ: वर्तमान दौर में लोकतंत्र की असली ताकत नई दिल्ली | विशेष लेख भारत का संविधान देश को लोकतांत्रिक तरीके से चलाने की मजबूत नींव देता है। लोकतंत्र को संतुलित और प्रभावी बनाए रखने के लिए संविधान के अंतर्गत तीन औपचारिक अंग बताए गए हैं, लेकिन व्यवहार में चार स्तंभों—विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया—को भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ माना जाता है। वर्तमान समय में इन चारों स्तंभों की भूमिका और जिम्मेदारी पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। विधायिका: कानून बनाने वाली संस्था विधायिका का मुख्य काम कानून बनाना और सरकार के कामकाज पर नजर रखना है। संसद (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्य विधानसभाएँ इसके अंतर्गत आती हैं। आज के समय में विधायिका से यह अपेक्षा की जाती है कि वह जनहित से जुड़े मुद्दों पर खुली बहस करे और जनता की आवाज़ को सही तरीके से उठाए। हालांकि, कई बार संसद में चर्चा का स्तर और विपक्ष की भूमिका को लेकर सवाल भी उठते हैं। कार्यपालिका: शासन को लागू करने वाली शक्ति कार्यपालिका विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों को जमीन पर लागू करती है। राष्ट्रपति, प्रधानम...