सोशल मीडिया के लिये ऑस्ट्रेलिया का नया कानून लाभ और हानियाँ
किशोरों की सोशल मीडिया की लत: प्रतिबंध का समाधान नहीं
ऑस्ट्रेलिया का नया कानून: सफलता मिलेगी या असफलता
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सोशल मीडिया उपयोग के लिए न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि, यह कदम समस्या का समाधान नहीं है। किशोरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों की चिंता के कारण यह प्रस्ताव 14-16 वर्ष की उम्र सीमा पर आधारित है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के व्यापक प्रतिबंध काम नहीं करेंगे। इससे किशोर सोशल मीडिया का उपयोग भूमिगत तरीकों से करेंगे, जिससे समस्या और बढ़ सकती है। ऑस्ट्रेलिया के ई-सेफ्टी कमिश्नर ने भी चेतावनी दी है कि प्रतिबंध-आधारित दृष्टिकोण युवाओं को कम विनियमित सेवाओं की ओर ले जा सकता है।
सोशल मीडिया के लाभ और हानियाँ
सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बन चुका है। अमेरिका के सर्जन जनरल ने चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया किशोरों में चिंता और अवसाद को बढ़ा रहा है। हालांकि, स्मार्टफोन के आने के बाद से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की दर में वृद्धि हुई है, लेकिन इस मुद्दे पर अभी तक कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है। सोशल मीडिया से मिलने वाले लाभ भी हैं, और इसलिए केवल प्रतिबंध लगाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। सख्त कंटेंट विनियमन और सावधानियों का पालन अधिक प्रभावी हो सकता है।
प्लेटफ़ॉर्म पर नियंत्रण: यूरोपीय संघ और अमेरिका के प्रयास
यूरोपीय संघ डिजिटल सेवा अधिनियम के माध्यम से इस दिशा में प्रयास कर रहा है। इस अधिनियम के तहत, बच्चों को आकर्षित करने वाले एल्गोरिदम की निगरानी की जा रही है। न्यूयॉर्क ने बच्चों के लिए SAFE अधिनियम पारित किया है, जो किशोरों को लत लगाने वाली सामग्री से बचाने के लिए है। अमेरिकी सीनेट ने भी बच्चों के लिए ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम पारित किया है। इसके साथ ही, माता-पिता, अभिभावकों और शिक्षकों की भी जिम्मेदारी है कि वे सोशल मीडिया साक्षरता को बढ़ावा दें और किशोरों के लिए सही उदाहरण पेश करें। प्रतिबंध के बजाय, उचित नियम और जागरूकता से इस समस्या का समाधान बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
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