उत्तर प्रदेश के विद्यालयों में शिक्षक-अनुपस्थिति बनी बड़ी चुनौती, हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराज़गी



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उत्तर प्रदेश में सरकारी विद्यालयों में शिक्षक-अनुपस्थिति की समस्या लगातार गंभीर हो रही है। नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य के कई जिलों में शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय नहीं आ रहे हैं, जिससे बच्चों की सीखने की गति पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से “मजबूत और व्यावहारिक नीति” अपनाने का निर्देश दिया है। न्यायालय का कहना है कि सरकार को स्कूलों में नियमित निरीक्षण व्यवस्था, बायोमेट्रिक अटेंडेंस और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम को और सख़्ती से लागू करना चाहिए ताकि कक्षा का समय सही तरीके से उपयोग हो।

शिक्षा विशेषज्ञों का मत है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस समस्या के कई कारण हैं — दूरी, परिवहन की कमी, और शिक्षक प्रेरणा का अभाव। इस परिस्थिति में सरकार को केवल सज़ा नहीं, बल्कि सहायक नीतियाँ भी बनानी होंगी जैसे प्रोत्साहन भत्ता और सुविधाजनक पोस्टिंग।

बेसिक शिक्षा विभाग ने भी इस मुद्दे पर स्वीकृति दी है कि वे अगले दो महीनों में राज्य भर में निरीक्षण-अभियान चलाएंगे और जिन शिक्षकों की लगातार अनुपस्थिति पाई जाएगी, उन पर कार्रवाई की जाएगी।

🟢 सुझाव: अभिभावक और स्थानीय समुदाय को स्कूल प्रबंधन समिति (SMC) के माध्यम से शिक्षक-उपस्थिति की निगरानी करनी चाहिए, ताकि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा गुणवत्ता सुधर सके।

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