उत्तर प्रदेश में SIR के कानूनी नियम: मतदाता सूची संशोधन के लिए नई सख़्त गाइडलाइन जारी
📰 उत्तर प्रदेश में SIR के कानूनी नियम: मतदाता सूची संशोधन के लिए नई सख़्त गाइडलाइन जारी
📌 SIR क्या है?
SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष अभियान है जिसके तहत उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची को पूरी तरह अपडेट, सत्यापित और त्रुटियों से मुक्त किया जाता है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी इस प्रक्रिया में पुराने नामों की जाँच, मृतक/स्थानांतरित मतदाताओं को हटाना और नए पात्र नागरिकों का नाम जोड़ना शामिल है।
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📌 SIR के प्रमुख कानूनी-प्रक्रियात्मक नियम (UP-Specific)
1️⃣ निर्वाचन आयोग का आधिकारिक आदेश
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने यूपी सहित 12 राज्यों में SIR को अनिवार्य रूप से लागू किया है। इस प्रक्रिया को कानूनी वैधता Representation of the People Act, 1950 के Sections 21–23 के तहत प्राप्त है।
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2️⃣ मतदाता सूची “Freezed List” से संशोधन की शुरुआत
SIR शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची को फ्रीज़ (स्थिर) किया जाता है।
इसका उद्देश्य है कि BLO घर-घर सर्वे उसी स्थिर सूची के आधार पर करें और किसी भी गलत जानकारी की पहचान आसानी से हो सके।
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3️⃣ BLO की कानूनी जिम्मेदारियाँ
BLO को SIR के दौरान निम्न कार्य कानूनी रूप से अनिवार्य हैं:
प्रत्येक घर पर जाकर एनुमरेशन फॉर्म देना और एकत्र करना
नाम, पता, EPIC, फोटो और परिवार की जानकारी का सत्यापन
48 घंटे के भीतर “Book a Call with BLO” अनुरोध का जवाब
गलत जानकारी पाई जाने पर रिपोर्ट DEO/ERO को भेजना
लापरवाही पर DEO अधिकारी BLO पर विभागीय कार्रवाई कर सकते हैं।
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4️⃣ दस्तावेज़ सत्यापन के नियम
जिन नागरिकों का नाम पुरानी लिस्ट (जैसे 2003 या उसके बाद) में था, उन्हें दस्तावेज़ दिखाने की आवश्यकता नहीं है।
जिनका नाम पहले कभी नहीं था, उन्हें पहचान/निवास प्रमाण देना अनिवार्य हो सकता है।
EPIC नंबर, उम्र, पता और पारिवारिक विवरण गलत पाए जाने पर केस “Objection Category” में जाएगा।
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5️⃣ Draft Roll और Claim–Objection के कानूनी प्रावधान
SIR के दौरान तीन चरण कानूनी रूप से फिक्स हैं:
📍 Draft Voter List जारी
ड्राफ्ट सूची जारी होने पर हर नागरिक को अपनी जानकारी चेक करना एक अधिकार है।
📍 Claims & Objections (दावा-आपत्ति)
नागरिक Form-6, Form-7 या Form-8 के माध्यम से नाम जोड़ने, हटाने या संशोधन का दावा कर सकते हैं।
ERO को हर दावा-आपत्ति की कानूनी सुनवाई करना अनिवार्य है।
📍 Hearing (सुनवाई)
संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजकर आपत्ति की सुनवाई की जाती है।
निर्णय का रिकॉर्ड लिखित रूप में रखा जाता है।
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6️⃣ District Contact Centres (DCCs) का गठन
CEO UP ने आदेश दिया है कि प्रत्येक जिले में DCC संचालित हो, जहाँ नागरिक अपनी SIR संबंधित शिकायतें दर्ज कर सकें।
इन केंद्रों का रोज़ाना संचालन अनिवार्य है।
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7️⃣ पारदर्शिता और निगरानी के कानूनी नियम
SIR प्रक्रिया की दैनिक रिपोर्टिंग DEOs को करनी होती है।
अधिसूचना के अनुसार SIR पूरी तरह पारदर्शी, गैर-राजनीतिक और सार्वजनिक निगरानी योग्य होना चाहिए।
सभी राजनीतिक दलों को BLAs नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है, जो BLO के साथ सूची सत्यापन में शामिल रहेंगे।
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8️⃣ Supreme Court दिशा-निर्देश (महत्वपूर्ण)
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि:
जिन लोगों का नाम गलत तरीके से सूची से हटाया गया है, उन्हें Free Legal Aid उपलब्ध कराया जाए।
दावा-आपत्ति की प्रक्रिया सार्वजनिक और निष्पक्ष होनी चाहिए।
यह आदेश सभी राज्यों, विशेषकर उत्तर प्रदेश, पर बाध्यकारी है।
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9️⃣ अंतिम मतदाता सूची (Final Roll)
SIR प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद अंतिम मतदाता सूची निर्धारित तारीख पर प्रकाशित की जाती है।
इसके बाद सूची कुछ समय के लिए “फ्रीज़” रहती है ताकि आगामी चुनावों के लिए स्थिर रह सके।
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🔍 निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में SIR एक सख़्त कानूनी प्रक्रिया है जो मतदाता सूची को सही, अपडेटेड और पारदर्शी बनाने के लिए अनिवार्य है। BLO से लेकर DEO तक सभी अधिकारी कानूनी रूप से जवाबदेह हैं, और नागरिकों को अपने अधिकारों का पूरा प्रयोग करने का हक़ दिया गया है।

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