स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराने का तरीका अलग अलग होता है? जानिए क्यों?
📰देश दर्पण न्यूज़
हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को पूरा देश तिरंगे के रंग में रंग जाता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि इन दोनों दिनों राष्ट्रीय ध्वज फहराने का तरीका अलग होता है? आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण (Flag Hoisting)
15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। इसमें तिरंगे को रस्सी से ऊपर खींचकर खोला जाता है और फिर लहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहते हैं। यह तरीका भारत के औपनिवेशिक शासन से आज़ादी पाने का प्रतीक है।
गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराना (Flag Unfurling)
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज को फहराते हैं। इसमें तिरंगा पहले से ध्वजस्तंभ के शीर्ष पर बंधा होता है, जिसे खोलकर लहराया जाता है। इसे ध्वज फहराना कहते हैं। यह हमारे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
अंतर क्यों?
15 अगस्त: यह दिन स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रतीक है, इसलिए ध्वज को नीचे से ऊपर खींचा जाता है।
26 जनवरी: यह दिन संविधान लागू होने और गणराज्य बनने का प्रतीक है, इसलिए ध्वज पहले से ऊपर बंधा होता है और केवल खोला जाता है।
इन दोनों तरीकों का अपना-अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो हमें हमारे गौरवशाली अतीत और लोकतांत्रिक भविष्य की याद दिलाता है।
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