मुहर्रम और आशूरा का ऐतिहासिक महत्व
मुहर्रम 2025: ऐतिहासिक सत्य, आशूरा का महत्व और आधुनिक संदर्भ
Updated: 06 july 2025
मुहर्रम और आशूरा का ऐतिहासिक महत्व
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला माह है, जब कुरान के चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है,
विशेष रूप से शिया मुसलमानों के लिए यह महीना करबला की लड़ाई व इमाम हुसैन (हुसैन इब्न अली) के बलिदान की याद दिलाता है, जहां 10वें दिन आशूरा को बहुत भारी दुख और श्रद्धा से मनाया जाता है
2025 में मुहर्रम की तारीखें
- मुहर्रम का पहला दिन: 27 जून 2025, चाँद दिखाई देने पर
- 10वा दिन—आशूरा: 6 जुलाई 2025 सोमवार को मनाया जाएगा
आशूरा पर रिवाज़ और अभ्यास
- शिया अभ्यास: माजलिस (श्रद्धा सभा), दफ़्ह-ए-तज़ीया (तज़िया जुलूस), छाती पर मारना (मातम)
- सुन्नी परंपरा: आशूरा का रोजा रखना (9-10 या 10-11 मुहर्रम)
- इस दौरान दान-धर्म, सामूहिक प्रार्थना और दयालुता की विशेष महत्ता रहती है
भारत में सामाजिक-सांस्कृतिक पक्ष
भारत में मुहर्रम सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक होता है। कई हिन्दू समुदाय भी माजलिस और तज़िया जुलूसों में हिस्सा लेते हैं, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे हिस्सों में
लगभग हर शहर व गाँव में स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था एवं सार्वजनिक शांतिपूर्ण आयोजन सुनिश्चित किए गए हैं
नवीन तकनीकी एवं प्रशासनिक सुरक्षा उपाय
कई शहरों जैसे वाराणसी और कानपुर में ड्रोन, CCTV, QRT व चौक-प्रभारी नियुक्त करके सुरक्षा को प्रभावी बनाया गया है, ताकि किसी प्रकार की अशांति या दुर्घटना न हो
आध्यात्मिक संदेश
मुहर्रम हमें न्याय, सत्य व त्याग के सिद्धांत याद दिलाता है। इमाम हुसैन का बलिदान हमें सिखाता है कि जात-पात, धर्म और समय के बजाय मानवता सर्वोपरि है। यह समय सामाजिक साझेदारी, अंदरूनी आध्यात्मिकता और सामूहिक सहानुभूति का होता है
हमसे जुड़ें:
- 📱 WhatsApp link https://chat.whatsapp.com/CHs3mfBugtu00d17SqAN7o
- 📣 Telegram link https://t.me/boost/deshdarpan
- 📧 किसी भी सुझाव और प्रश्नों के लिए स्वागत है कृपया ईमेल करें: deshdarpannews1@gmail.com
स्रोत: India Today, Times of India, Indian Express जैसी विश्वसनीय समाचार संस्थाएं और Wikipedia आदि।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें