चार नाम राज्यसभा के लिए नामित, गुजरात के स्कूलों में अनोखी पहल

📢 उज्ज्वल निकम सहित चार नाम राज्यसभा के लिए राष्ट्रपति की ओर से नामित

राष्ट्रपति **द्रौपदी मुर्मू** ने **१४ जुलाई 2025 को चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों  उज्ज्वल निकम सी. ,सदानंदन मास्टर, हरशवर्धन श्रींगला और डॉ. मीना जैन को अध्यक्षीय नामांकन के तहत  राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किया गया है 


👤 कौन हैं ये चार नामित सदस्य?

  • उज्ज्वल निकम: 26/11 हमले और 1993 बॉम्ब ब्लास्ट जैसे हाई‑प्रोफाइल मामलों के विशेष अभियोजक, जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था 
  • हरशवर्धन श्रींगला: पूर्व विदेश सचिव, जिन्होंने G20 समन्वयन समेत अनेक अंतर्राष्ट्रीय पहल में योगदान दिया 
  • सी. सदानंदन मास्टर: केरल भाजपा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता, जिन्होंने व्यक्तिगत पीड़ा और समाज सेवा के लिए पहचाने जाते हैं 
  • डॉ. मीना जैन: इतिहासकार एवं शिक्षाविद्, जिन्होंने भारतीय इतिहास और संस्कृति पर शोध किया है 

🤝 प्रधानमंत्री मोदी ने भी दी बधाई

प्रधानमंत्री **नरेंद्र मोदी** ने ट्विटर पर लिखा: “उज्ज्वल निकम का संविधान के प्रति समर्पण अनुकरणीय है...” और अन्य नामित सदस्य की भी सराहना की है 

वहीं, खुद निकम ने बताया कि पीएम मोदी ने उन्हें फोन कर ख़ुद नामांकन की ख़ुशख़बरी दी थी। बातचीत के दौरान मोदीजी ने मज़ाक में पूछा, "क्या मैं मराठी बोलूं या हिंदी?"—जिस पर दोनों ने साथ हँसी साझा की 


📋 क्या है नामांकन का महत्व?

राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा को **12 विशेषज्ञ सदस्यों का नामांकन** संविधान द्वारा तय अधिकार है, जो साहित्य, विज्ञान, कला, सामाजिक सेवा और अन्य क्षेत्रों में विशिष्ट कौशल या अनुभव रखते हों 



गुजरात के स्कूलों में अनोखी पहल: हर रविवार बच्चे खुद करते हैं घर का काम, माओं को देते हैं छुट्टी

📅 तारीख: 14 जुलाई 2025
📍 स्थान: अहमदाबाद, गुजरात
📰 स्रोत: दैनिक भास्कर राष्ट्रीय संस्करण

गुजरात के अहमदाबाद स्थित विद्याकुंज स्कूल में पढ़ने वाले करीब 300 छात्रों ने घर में रविवार को अपनी मां को पूरा आराम देने का निर्णय लिया है। स्कूल ने फरवरी 2024 में यह विशेष कार्यक्रम शुरू किया था जिसमें बच्चों को सिखाया गया कि घर के काम को कैसे खुद किया जाए और माओं का श्रम कैसे समझा जाए।

🎯 उद्देश्य:

  • बच्चों को घरेलू जिम्मेदारियों का एहसास कराना
  • बच्चों के स्वभाव में सकारात्मक बदलाव लाना
  • अभिभावकों खासकर माताओं के कार्य का सम्मान करना

📈 परिणाम:

  • बच्चों की जिद्दी और गुस्सैल प्रवृत्ति में कमी
  • परिवार के प्रति सहयोगी व्यवहार
  • स्वस्थ मानसिकता और आत्मनिर्भरता

हर महीने स्कूल द्वारा एक बैठक आयोजित की जाती है जिसमें यह जाना जाता है कि बच्चों ने घर पर क्या कार्य किए और उसमें क्या कठिनाइयाँ आईं।

🧒 बच्चों का अनुभव:

बच्चे अब बर्तन धोना, कपड़े सुखाना, झाड़ू-पोंछा करना, रोटी बनाना, सब्जी काटना जैसे काम खुद करते हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास और जिम्मेदारी की भावना बढ़ी है।

👩‍👧 माता-पिता की प्रतिक्रिया:

अभिभावक भी इस पहल से बेहद प्रसन्न हैं। उन्हें अपने बच्चों में बदलाव साफ दिख रहा है। बच्चे मोबाइल से दूर होकर परिवार से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।


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