सर सैयद अहमद खान दिवस – शिक्षा, एकता और स्वतंत्र भारत के प्रेरक
सर सैयद अहमद खान दिवस – शिक्षा, एकता और स्वतंत्र भारत के प्रेरक
17 अक्टूबर को सर सैयद दिवस के रूप में मनाया जाता है — उस महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् और राष्ट्रप्रेमी के सम्मान में, जिन्होंने भारतीय समाज में आधुनिक शिक्षा, एकता और जागरूकता की नींव रखी।
सर सैयद अहमद खान (17 Oct1817–27 March1898) का मानना था कि भारत की प्रगति केवल तब संभव है जब सभी धर्मों और समुदायों के लोग शिक्षा और समझ के साथ आगे बढ़ें। उन्होंने कहा था:
> “हिंदू और मुसलमान हिंदुस्तान की उस सुंदर दुल्हन की दो आंखें हैं; किसी एक की कमजोरी पूरी दुल्हन की खूबसूरती बिगाड़ देगी।”
🔹 शिक्षा में योगदान
1875 में उन्होंने मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज (जो आगे चलकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय) बना, की स्थापना की — जहाँ पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक विज्ञान का अद्भुत समन्वय हुआ।
उन्होंने “तहज़ीब-उल-अख़लाक़” जैसी पत्रिकाओं के माध्यम से समाज में सोच और संवाद का नया दौर शुरू किया।
🔹 भारत की स्वतंत्रता के लिए योगदान
सर सैयद ने स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाली राष्ट्रीय चेतना को शिक्षित और तर्कसंगत दिशा दी।
उन्होंने 1857 की क्रांति के बाद भारत और ब्रिटिश सरकार के बीच संवाद और समझ की राह निकाली, ताकि भविष्य में भारत एक शिक्षित, आत्मनिर्भर और सम्मानजनक राष्ट्र बन सके।
उनकी शिक्षा आंदोलन ने बाद के राष्ट्रीय नेताओं को सोच और संघर्ष की नई दिशा दी — जो आगे चलकर आज़ादी के आंदोलन की बौद्धिक रीढ़ बनी।
🔹 प्रेरणा आज के लिए
सर सैयद का जीवन संदेश देता है कि शिक्षा, एकता और जागरूकता ही असली आज़ादी की नींव हैं।
उनका दृष्टिकोण बताता है कि राष्ट्र की शक्ति सिर्फ राजनीति से नहीं, बल्कि विचार और विवेक से बनती है।
देश दर्पण समाचार
(“ज्ञान, एकता और स्वतंत्रता का संदेश”)
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