फार्मा बाजार में उछाल, अस्थमा की दवाएं सबसे ज्यादा



फार्मा बाजार में उछाल, अस्थमा की दवाएं सबसे ज्यादा बिकी

फार्मा बाजार में उछाल, अस्थमा की दवाएं सबसे ज्यादा

नई दिल्ली: नवंबर महीने में भारतीय फार्मा बाजार ने रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की, जिसमें अस्थमा और अन्य दवाओं की मांग में जबरदस्त उछाल देखा गया। इस महीने फार्मा उद्योग में कुल 8% की वृद्धि हुई।

अस्थमा दवाओं की मांग में बढ़ोतरी
विशेषज्ञों के अनुसार, बदलते मौसम और बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्थमा और सांस संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं, जिससे इन दवाओं की बिक्री में इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाओं में फोराकॉर्ट और ऑम्निकॉर्ट ने शीर्ष स्थान हासिल किया। इसके अलावा एंटीबायोटिक और मधुमेह की दवाओं की भी मांग बनी रही।

"नवंबर में सबसे आगे"

Foracort: 82 (2% वृद्धि)

Augmentin: 76 (9% वृद्धि)

Glycomet-GP: 69 (1% वृद्धि)

Monocef: 58 (4% वृद्धि)

Clavam: 57 (14% वृद्धि)

Duolin: 57 (15% वृद्धि)

Pan: 57 (12% वृद्धि)

Thyronorm: 57 (7% वृद्धि)

Udiliv: 56 (4% वृद्धि)

Budecort: 56 (12% वृद्धि)

कुल बाजार प्रदर्शन
भारत का कुल फार्मा बाजार 2,28,059 करोड़ रुपये का रहा, जिसमें अस्थमा और एंटीबायोटिक दवाओं की हिस्सेदारी सबसे अधिक थी। विशेषज्ञों ने कहा कि यह प्रवृत्ति अगले कुछ महीनों तक बनी रह सकती है।

फार्मा बाजार का भविष्य
देश में स्वास्थ्य जागरूकता और अस्पतालों में बढ़ती मांग के चलते विशेषज्ञों का मानना है कि 2024 में भी भारतीय फार्मा बाजार में तेजी बनी रहेगी। भारतीय कंपनियां घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही ह

स्वास्थ्य संकट और बदलते मौसम ने फार्मा बाजार को दी रफ्तार

नई दिल्ली: भारत में फार्मा उद्योग लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। नवंबर 2023 में भारतीय दवा बाजार ने 8% की वृद्धि दर्ज की, जो स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ते निवेश और बदलते पर्यावरणीय परिस्थितियों का परिणाम है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसमी बीमारियों, प्रदूषण, और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि ने बाजार में भारी मांग उत्पन्न की है।

प्रमुख कारण:

1. प्रदूषण के कारण अस्थमा का बढ़ता असर:
दिल्ली और अन्य महानगरों में बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार, इस बार अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी के मामलों में 20% से अधिक वृद्धि हुई है। इसका सीधा असर अस्थमा की दवाओं की बिक्री पर पड़ा।


2. मधुमेह और जीवनशैली की बीमारियां:
मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। नवंबर में मेटफॉर्मिन और थायरोकेयर जैसी दवाओं की बिक्री में जोरदार उछाल आया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में 7 करोड़ से अधिक लोग डायबिटीज के मरीज हैं।

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सर्दियों के आगमन के साथ फ्लू, वायरल इंफेक्शन और बुखार के मामले बढ़े, जिससे एंटीबायोटिक और बुखार की दवाओं की मांग भी तेज हुई।

फार्मा सेक्टर की वृद्धि को समर्थन देने वाले कारक:

1. डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं:
टेलीमेडिसिन और ऑनलाइन दवा बिक्री ने दवा उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं, ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों का बड़ा योगदान रहा है।


2. स्वास्थ्य जागरूकता में बढ़ोतरी:
कोविड-19 के बाद से लोग स्वास्थ्य को लेकर अधिक जागरूक हुए हैं। स्वास्थ्य बीमा और अस्पतालों में नए इनोवेशन के चलते मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं।


3. निर्यात बाजार में उछाल:
भारतीय फार्मा कंपनियों ने वैश्विक बाजार में अपनी स्थिति मजबूत की है। एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में भारतीय दवाओं की मांग लगातार बढ़ रही

भविष्य की संभावनाएं:
विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारतीय फार्मा उद्योग 2024 में 10-12% की दर से वृद्धि करेगा। अस्थमा, कैंसर, मधुमेह और एंटीबायोटिक्स की दवाओं की मांग सबसे अधिक बनी रहेगी। साथ ही, भारतीय फार्मा कंपनियां नई दवाओं और वैक्सीन के विकास में भारी निवेश कर रही हैं।

निष्कर्ष:
भारतीय फार्मा बाजार न केवल घरेलू स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। बदलते मौसम, जीवनशैली, और नई स्वास्थ्य चुनौतियों के कारण आने वाले समय में इस बाजार के और मजबूत होने की उम्मीद


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