यूपी में अब डॉक्टर नहीं दे सकेंगे सेवा एक साथ कई निजी अस्पतालों में, स्वास्थ्य विभाग ने लॉन्च किया निगरानी पोर्टल
यूपी में अब डॉक्टर नहीं दे सकेंगे सेवा एक साथ कई निजी अस्पतालों में, स्वास्थ्य विभाग ने लॉन्च किया निगरानी पोर्टल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य में डॉक्टर एक साथ कई निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं नहीं दे पाएंगे। यह निर्णय ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से लिया गया है, जहां अस्पताल संचालक फर्ज़ी तरीके से डॉक्टरों को स्थायी रूप से अपने यहां दिखाते रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में एक नया पोर्टल लॉन्च किया है जिसमें प्रत्येक डॉक्टर का एमसीआई (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) रजिस्ट्रेशन नंबर लिंक रहेगा। इस पोर्टल की सबसे अहम विशेषता यह होगी कि यह स्पष्ट करेगा कि किसी विशेष रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग किन-किन अस्पतालों में किया जा रहा है।
क्यों उठाया गया यह कदम?
विभाग की रिपोर्ट्स के अनुसार, कई निजी अस्पतालों में फर्ज़ी डॉक्टर या किसी एक डॉक्टर के नाम पर कई जगहों पर सेवाएं देने का दावा किया जाता रहा है, जो कि न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि मरीजों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करता है। इसके मद्देनज़र विभाग ने यह तकनीकी निगरानी प्रणाली विकसित की है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी चिकित्सक एक समय में केवल एक स्थान पर ही सेवा दे रहा है।
पोर्टल की कार्यप्रणाली
नए पोर्टल में डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करते ही यह जानकारी मिल जाएगी कि वह नंबर किन अस्पतालों से जुड़ा है। यदि एक ही नंबर का उपयोग एक से अधिक संस्थानों में हो रहा है, तो जांच की जाएगी कि वह कानूनी और मान्य तरीके से हो रहा है या नहीं।
इससे क्या होंगे फायदे?
फर्ज़ी डॉक्टरों पर रोक लगेगी।
मरीजों को मिलेगा सही और प्रमाणित डॉक्टरों से इलाज।
निजी अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ेगी।
स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।
अस्पताल संचालकों और डॉक्टरों के लिए निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों को निर्देशित किया है कि वे अपने यहां कार्यरत सभी डॉक्टरों का विवरण पोर्टल पर अनिवार्य रूप से दर्ज करें। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित अस्पताल और डॉक्टर दोनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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