बीएचयू ने भारत में सायनोबैक्टीरिया (CYNOBA CTERIA)की नौ नई प्रजातियाँ खोजीं
वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सायनोबैक्टीरिया की नौ नई प्रजातियों की पहचान करके एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सफलता प्राप्त की है। यह खोज न केवल सूक्ष्मजीव विविधता की हमारी समझ को समृद्ध करती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के सामने जैव विविधता के संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
मुख्य बातें:
* नई प्रजातियाँ: बीएचयू के शोधकर्ताओं ने सायनोबैक्टीरिया की नौ नई प्रजातियों की खोज की है।
* स्थान: इनमें से सात प्रजातियाँ पूर्वोत्तर भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट (त्रिपुरा, नागालैंड और असम) में पाई गईं, और दो मध्य प्रदेश के पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व में।
* महत्व: यह खोज भारत की सूक्ष्मजीव विविधता को cataloging करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है और जलवायु परिवर्तन के कारण जैव विविधता के नुकसान के खिलाफ विशेष महत्व रखती है।
* टीम: इस अध्ययन में 13 लेखक शामिल थे, जिनमें से सात इंटर्नशिप/dissertation छात्र थे।
* अध्ययन का नेतृत्व: प्रशांत सिंह ने किया, जो वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं।
* प्रकाशन: यह अध्ययन 'Algal Research' नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
* फंडिंग: इस परियोजना को SERB और BHU से अनुदान मिला था।
अध्ययन का महत्व:
यह अध्ययन ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के लिए खतरा बन रहा है। यह कम ज्ञात जीवों के संरक्षण के महत्व पर जोर देता है और जैव विविधता अनुसंधान और संरक्षण में निवेश की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
सरल शब्दों में:
बीएचयू के वैज्ञानिकों ने नौ नए तरह के बैक्टीरिया खोजे हैं जो पानी में पाए जाते हैं। इनमें से ज़्यादातर उत्तर-पूर्वी भारत में मिले हैं। यह खोज बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हमें प्रकृति और सूक्ष्मजीवों के बारे में और जानने को मिलेगा। यह भी पता चलता है कि हमें जलवायु परिवर्तन से अपने आसपास के जीव-जंतुओं को बचाने की कितनी ज़रूरत है। इस खोज में कई छात्रों ने भी मदद की और यह 'Algal Research' नाम की पत्रिका में छपी है। इस काम के लिए पैसे सरकार और बीएचयू ने दिए।
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